शारदीय नवरात्रि 5वें दिन: मां स्कंदमाता की पूजा करने का सही तरीका, जानें उनका प्रिय भोग और रंग
शारदीय नवरात्रि पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा का दिन होता है। मां के बारे में कहा जाता है कि वह अपने संतानों खूब स्नेह लुटाती हैं। इनकी पूजा से संतान सुख मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियां खुद ब खुद दूर हो जाती हैं। विघ्न-बाधा भी खत्म होती है।
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दूरी होती हैं नकारात्मक शक्तियां
आध्यात्मिक गुरु पंडित कमलापति त्रिपाठी का कहना है कि मान्यता है कि मां स्कंदमाता अपने भक्तों पर विशेष स्नेह बरसाती हैं। उनके द्वारा पूजन-अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन एवं कार्यों में आने वाली विघ्न-बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां की गोद में स्कंद देव विराजमान हैं और मां स्वयं कमल के आसन पर बैठती हैं। इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां का वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने से संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और माता-पिता व संतान के बीच प्रेम और सुख बढ़ता है।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि:
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स्नान और शुद्धिकरण: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
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प्रतिमा स्थापना: घर के पूजा स्थल या मंदिर में चौकी पर मां स्कंदमाता की तस्वीर या मूर्ति रखें। उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं और षोडशोपचार पूजन करें।
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पुष्प और अक्षत: मां को कमल का फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
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मंत्र जाप: “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
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आरती और पाठ: मां स्कंदमाता की आरती करें और दुर्गासप्तशती या देवी कवच का पाठ करें।
प्रिय भोग और रंग
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केले का भोग: मां स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
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प्रिय रंग: मां को पीला रंग बहुत पसंद है, इसलिए पूजा के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
पूजा का महत्व:
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संतान सुख: मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
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आध्यात्मिक उन्नति: उनके पूजन से आध्यात्मिक प्रगति होती है और भक्तों को ज्ञान, शांति और समृद्धि मिलती है।
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नकारात्मक ऊर्जा का नाश: पूजा से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
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